नागपंचमी पर मंदिर परिसर में श्रावणी सामूहिक अभिषेक किया गया। बाबा मनकामेश्वर के अभिषेक पूजन के बाद आचार्य शिवराम अवस्थी और पंडित उमाकांत शुक्ला की अगुआई में विश्व शान्ति और राष्ट्र समृद्धि के लिए यज्ञ किया गया। महंत देव्यागिरि ने संदेश दिया कि बेहतर हो कि लोग सपेरों के बच्चों की शिक्षा आदि का दायित्व उठाएं। इससे सपेरों के जीवन में सामाजिक परिवर्तन आएगा और सांप अपने वास्तविक आवासों में स्वतंत्र जीवन जी सकेंगे।
गुड़िया पीटने के बजाए बेटियों के संरक्षण का संदेश देने के लिए महंत देव्यागिरि ने गुड्डे और गुड़ियों का विवाह समारोह आयोजित करवाया। उसमें वधु पक्ष में शामिल उपमा पाण्डेय, मालती शुक्ला, जयोति कश्यप, राम दुलारी, सुनीता चौहान, वंदना वर्मा, आशा, जानकी, राधा, कनक, सरिता गुप्ता, कान्ति, सुनीता अग्रहरि सहित अन्य झालरों से सजी छोटी सी पालकी में दुल्हन के रूप में गुड़िया को लेकर आईं। दूसरी ओर वर पक्ष में शामिल गीता कश्यप, ज्ञानवती, वंदना वर्मा, ऊषा का द्वाराचार किया गया। शहनाई से गूंजते मंदिर परिसर में आयोजित हुए विवाह समारोह में तिलक, हल्दी, मेंहदी की रस्में बच्चों में भी कौतूहल और जिज्ञासा का कारण बनी। मंदिर के वरिष्ठ सेवादार जगदीश गुप्ता अग्रहरि ने बताया कि महिला मंडली ने श्रावणी मेंहदी लगवाते हुए मंगल गीत भी गाए।